A REVIEW OF APSARA SADHNA

A Review Of apsara sadhna

A Review Of apsara sadhna

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कुछ साधकों को बीच में ही साधना सफल हो गई मानकर उन्होंने साधना को छोड़ दिया, लेकिन अप्सराएँ परीक्षाओं का आयोजन करती रहती हैं।

ध्यान और मंत्र साधना: साधकों को ध्यान और मंत्र साधना के माध्यम से अप्सरा देवियों के संग संवाद करने का अभ्यास कराया जाता है। ध्यान में साधक अप्सरा देवियों के रूप, गुण, और स्वरूप का ध्यान करते हैं और मंत्र जाप के द्वारा उनके संग संवाद करने का प्रयास करते हैं।

कुशासन, रेशमी आसन, ऊनी आसन, म्रगचर्म आसन या व्याघ्र चर्म आसन में से साधना के अनुकूल आसन का चयन करें।

मंत्र जप करते समय माला को गोमुखी में रखें।

स्वर्गीय आनंद: अप्सराएं स्वर्गीय लोक में निवास करती हैं और उन्हें नित्य सुख और आनंद का अनुभव होता है। इससे वे अपनी शक्तियों को बढ़ाती हैं।

आत्म-विश्वास: साधक को अपने आत्म-विश्वास में पूरी श्रद्धा रखनी चाहिए। आत्मा के शक्तियों का पूर्ण विश्वास रखना महत्वपूर्ण है।

साधना के लिए एकांतिक स्थान का चयन करें, जिससे कि आपकी पूजा या साधना में किसी प्रकार का व्यवधान न हो।

साधना में उपांशु जाप का प्रयोग करें, अर्थात् बुदबुदाने के साथ जाप करें और होंठ हिलने दें।

उम्मीद more info है कि ये नियम आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

Apsara Sadhana is often a transformative training course that delves into The traditional apply of connecting with celestial beings known as Apsaras.

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अप्सरा के रूप में विभिन्न श्रेणियां और विशेषताएं होती हैं, जैसे कि:

अप्सरा साधना में कई तकनीकें होती हैं जो साधकों को अप्सरा देवियों के संग संवाद करने का अभ्यास कराती हैं और उन्हें आत्म-सम्मोहन और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। यहां कुछ मुख्य अप्सरा साधना की तकनीकें हैं:

इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।

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